कोई-न-कोई राय होनी चाहिए

कोई-न-कोई राय होनी चाहिए
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आज की दुनिया में
दूरियाँ बढ़ गई है कि नजदीकियाँ
कहना मुश्किल है
मेरे दोस्तों की इस पर दिलचस्प राय है
आप की भी कोई-न-कोई राय होनी चाहिए, खैर

हम एक दूसरे को जानते हैं!
हम एक दूसरे के दुख को नहीं जानते।

ऐसा क्यों होता है मेरे साथ
कह नहीं सकता
यकीन करता हूँ कि
आप के साथ यह सब नहीं होता होगा
क्या पता होता भी हो,
कुछ कह नहीं सकता

जब भी किसी से मिलता हूँ
मैं नहीं मेरा झूठ
लपककर हाथ मिलाता है,
कभी-कभी गले भी मिल लेता है
सामनेवाले के झूठ से

हमारे सुख आपस में बात करने लगते हैं
इस कदर बात करने लगते हैं कि
वक्त का कोई एहसास ही नहीं रह जाता है

आज तो गजब ही हो गया
मेरे झूठ ने सच को बहुत दुत्कारा
क्या-क्या न कहा, मसलन मुहँचोर

यह सच है कि मेरा दुख भी

मुँह चोर है और सच भी
मैं बहुत परेशान-सा हूँ कि
मेरा झूठ भी मुहँजोर है
मेरा सुख भी मुँहजोर है

आप मेरे दोस्त हैं तो बुरा न मानें
मेरा झूठ और मेरा सुख
इस समय समाचार चैनलों में टहल रहा है
और इस बीच मेरा दुख चुपके से
आप के कान में यह डाल रहा कि
हम एक दूसरे को जानते हैं!
हम एक दूसरे के दुख को नहीं जानते।

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