कुछ कर नहीं सकता

प्रफुल्ल कोलख्यान Prafulla Kolkhyan

हाँ, सच है कि कुछ कर नहीं सकता
दो बूँद आँसू बनकर बस ढरक जाऊँ


हाँ, सच है कि कुछ कर नहीं सकता
हँसो तो गाल की गहराई बन जाऊँ

हाँ, सच है कि कुछ कर नहीं सकता
नाराजगी हो तो चुप से सरक जाऊँ

हाँ, सच है कि कुछ कर नहीं सकता

कोई टिप्पणी नहीं: