धरती की ओर से दी गई राहत

धरती की ओर से दी गई राहत

तप-शून्य लोग सबसे अधिक परेशान हैं ताप से
बुद्धिजीवी हुए तो संताप से

ताप से परेशान तपस्वी आकाश को निहारते हैं
याचक नजर से, ढूँढ़ते रहते हैं आकाश में आशा

वे क्या समझेंगे बादलों के गर्जन की तर्जन की
बिजली की ऊर्जस्वित भाषा
कैसे समझेंगे कि बादलों में बोलता है
सागर का सरिता का, ताल का तलैया का
प्रकृति की गति का दर्द

वे तो समझते हैं -
- बादल
मौसम विभाग के वेतन पर पलता है
और मौसम विभाग
उनके द्वारा अदा किये गये टैक्स से चलता है

वे नहीं मानते कि आकाश में बादल का होना
धरती की ओर से दी गई राहत है
वे नहीं मानते कि उनके इसी रवैये से
प्रकृति भी, जीवन भी आज सब से अधिक आहत है।

कोई टिप्पणी नहीं: