जीतन, हो गया बेचन

जीतन, हो गया बेचन

राग समेटो, रंग समेटो. चैता और फाग समेटो
अब खबर गर्म बहुत है, जीतन, हो गया बेचन
देखो, मुर्दों के ऊँचे टीले पर जा बैठा है खदेड़न
एक तत्त्व, कहो उसे कुछ और या कहो लखेड़न

राग समेटो, रंग समेटो. चैता और फाग समेटो
पूजा हो, प्रसाद हो, श्रद्धा या साध, सब रेहन
खड़े बाँस के पात-सा, खर-खड़ा रहा है जेहन
जोह रहा है बाट, एक टाँग पर खड़ा है खेदन

राग समेटो, रंग समेटो. चैता और फाग समेटो
हाँ कौन बचा है, करे जो इस रहस्य का भेदन
फेंट रहा है बड़े जतन से, फेंटे जैसे कोई बेसन
अब खबर गर्म बहुत है, जीतन, हो गया बेचन

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